श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे/Shri Ram Janki Baithe Hain Mere Seene Mein
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे नहीं चलाओ बाण, व्यंग के ऐ विभीषण, ताना ना सह पाऊं, क्यूँ […]
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे नहीं चलाओ बाण, व्यंग के ऐ विभीषण, ताना ना सह पाऊं, क्यूँ […]
हे दुःख भंजन हे दुःख भंजन मारुती नंदन, सुनलो मेरी पुकार, पवनसुत विनती बारम्बार, पवनसुत विनती बारम्बार।। अष्ट सिद्धि नवनिधि
वीर हनुमाना अति बलवाना वीर हनुमाना अति बलवाना, राम नाम रसियो रे, प्रभु मन बसियो रे, वीर हनुमाना अति बलवाना,
हनुमान चालीसा का महत्त्व हनुमान चालीसा एक प्राचीन हिंदू भक्ति कविता है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। यह कविता
हनुमान जी का जन्म – How was Hanuman born? हनुमान जी हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। वे भगवान
हनुमान जयंती का उजाला – चालीसा का ज्योतिमय पथ हनुमान जयंती, जिस दिन हम शक्तिशाली वानर देव हनुमान के जन्म
Hanuman Jayanti with Chanting of Hanuman Chalisa Hanuman Jayanti in 2024, the day we will celebrate the birth of the
हनुमान जी की आरती हनुमान जी की आरती सुनने का मजा ही कुछ और है, जैसे कोई स्वर्गीय संगीत जो
मेहन्दीपुर बालाजी की आरती ॐ जय हनुमत वीरा, स्वामी जय हनुमत वीरा | संकट मोचन स्वामी, तुम हो रनधीरा ||
भजन/Bhajanभजन/Bhajan भजन/Bhajanभजन/Bhajan आरती हनुमानजी की आरती मेहन्दीपुर बालाजी की आरती
मंत्र हनुमान गायत्री मंत्र ओम् आंजनेयाय विद्मिहे वायुपुत्राय धीमहि | तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात ||1|| ओम् रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि |
स्तुति हनुमान स्तुति नमो केसरी पूत महावीर वीरं, मंङ्गलागार रणरङ्गधीरं। कपिवेष महेष वीरेश धीरं, नमो राम दूतं स्वयं रघुवीरं। नमो
मारुति स्तोत्र मारुति स्तोत्र ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय। प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय। प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय। भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय। शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय। ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।
बजरंग बाण दोहा निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ चौपाई जय
पंचमुखी हनुमान कवच श्री गणेशाय नम: | ओम अस्य श्रीपंचमुख हनुम्त्कवचमंत्रस्य ब्रह्मा रूषि:| गायत्री छंद्: | पंचमुख विराट हनुमान देवता|
संकटमोचन हनुमानाष्टक मत्तगयंद छंद बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुँ लोक भयो अँधियारो । ताहि सों त्रास भयो जग