हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने की कथा – भक्ति और शक्ति का प्रतीक
हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने की कथा – भक्ति और शक्ति का प्रतीक लंका के महासंग्राम के दौरान, जब […]
हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने की कथा – भक्ति और शक्ति का प्रतीक लंका के महासंग्राम के दौरान, जब […]
Hanuman Brings the Sanjeevani Herb – A Symbol of Devotion and Strength Amidst the raging battle in Lanka, as the
हनुमान जी की गदा का महत्व हनुमान जी, जिन्हें हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय माना जाता है, अक्सर गदा (मेस)
The Significance of Lord Hanuman’s Gada (Mace) Lord Hanuman, one of the most revered deities in Hindu mythology, is often
क्या हनुमान जी शिव के अवतार हैं? पौराणिक प्रमाण हनुमान जी, जिन्हें बजरंग बली, पवनपुत्र, और महावीर के नाम से
हनुमान जी का जन्म किस युग में हुआ था? पौराणिक प्रमाण और महत्व हनुमान जी भगवान शिव के रुद्रावतार और
हनुमान जी का जन्म कहाँ हुआ था? पौराणिक कथा और प्रमाण हनुमान जी, जिन्हें बजरंग बली, पवनपुत्र, और अंजनी पुत्र
मनोजवं मारुततुल्यवेगम् – हनुमान जी की महिमा का अद्भुत श्लोक हनुमान जी को उनकी असीम शक्ति, अपार बुद्धि और अविचल
श्री हनुमत् स्तवन प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ज्ञानघन |जासु हृदय आगार बसहिं राम सरचाप धर ||१|| अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम् |दनुजवनकृशानुं
श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र विनियोग ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः, श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं
एक श्लोकी रामायण – सम्पूर्ण रामायण का सार रामायण, जो वाल्मीकि जी द्वारा रचित एक महाकाव्य है, भगवान श्रीराम के
श्री हनुमान साठिका ॥दोहा॥ बीर बखानौं पवनसुत,जनत सकल जहान । धन्य-धन्य अंजनि-तनय , संकर, हर, हनुमान्॥ ।।चौपाइयां।। जय-जय-जय हनुमान अडंगी
श्रीहनुमत्स्तोत्रं विभीषणकृतम् श्रीगणेशाय नमः । नमो हनुमते तुभ्यं नमो मारुतसूनवे । नमः श्रीरामभक्ताय श्यामास्याय च ते नमः ॥ १॥ नमो
हनुमत्कृतं श्रीरामस्तोत्रम् कोन्वीश ते पादरसोबभाजां सुदुर्लभोऽर्थेषु चतुर्ष्वपीह । तथाऽपि नाहं प्रवृणोमि भूमन् भवत्पदाम्भोजनिषेवणादृते ॥ १॥ त्वमेव साक्षात्परमः स्वतन्त्रस्त्वमेव साक्षादखिलोरुशक्तिः
श्री आञ्जनेयमङ्गलाष्टकम् कपिश्रेष्ठाय शूराय सुग्रीवप्रियमन्त्रिणे । जानकीशोकनाशाय आञ्जनेयाय मङ्गलम् ॥ १॥ मनोवेगाय उग्राय कालनेमिविदारिणे । लक्ष्मणप्राणदात्रे च आञ्जनेयाय मङ्गलम् ॥ २॥ महाबलाय
एकादशमुखहनुमत्कवचम् श्रीगणेशाय नमः । लोपामुद्रा उवाच । कुम्भोद्भव दयासिन्धो श्रुतं हनुमतः परम् । यन्त्रमन्त्रादिकं सर्वं त्वन्मुखोदीरितं मया ॥ १॥
यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनं – हनुमान जी की अनन्य भक्ति का प्रतीक हनुमान जी की भक्ति का वर्णन जितना किया
सप्तमुखी हनुमत्कवचम् (Saptamukhi Hanumat Kavacham) हनुमान जी के सात मुखों वाले स्वरूप की स्तुति और रक्षा कवच है। यह साधकों