Ram Stuti/राम स्तुति
श्री राम स्तुति, जिसमें भगवान राम की महिमा और परमपराओं का आदान-प्रदान है। यह पाठ हमें भक्ति और आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित करता है और हमें सच्चे धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। राम स्तुति का पाठ करने से हमारा मन शांति और सुकून से भर जाता है, जिससे हम अपने जीवन को सकारात्मक और प्रफुल्लित बना सकते हैं। आप भी इस अनुभव को साझा कर सकते हैं और राम स्तुति के माध्यम से अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।
Ram Stuti/राम स्तुति

॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं।
नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खरदूषणं॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं।
मम् हृदय कंज निवास कुरु कामादि खलदल गंजनं॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो वर सहज सुन्दर सांवरो।
करुणा निधान सुजान शील स्नेह जानत रावरो॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मन्दिर चली॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अङ्ग फरकन लगे।
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