लंका दहन: हनुमान जी की शक्ति और भक्ति की अद्भुत गाथा

लंका दहन: हनुमान जी की शक्ति और भक्ति की अद्भुत गाथा

लंका दहन, हनुमान जी के पराक्रम, भक्ति और अलौकिक शक्ति का एक अद्भुत उदाहरण है। जब रावण ने सीता माता का हरण किया और उन्हें लंका में बंदी बनाकर रखा, तब भगवान श्रीराम के आदेश पर हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका पहुंचे। इस पूरी घटना में उनकी शक्ति, चतुराई और रामभक्ति की अनूठी झलक देखने को मिलती है।

हनुमान जी द्वारा लंका दहन का उल्लेख वाल्मीकि रामायण, तुलसीदास कृत रामचरितमानस और अन्य हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है। यह केवल एक युद्धक घटना नहीं थी, बल्कि यह अधर्म के विरुद्ध धर्म की विजय का संदेश था।

लंका दहन की कथा

हनुमान जी की लंका यात्रा कई अद्भुत घटनाओं से भरी हुई थी। आइए इस ऐतिहासिक घटना को चरणबद्ध रूप में समझते हैं।

1. सीता माता की खोज

हनुमान जी भगवान राम का संदेश लेकर सीता माता की खोज के लिए लंका पहुंचे। वे सुग्रीव की सेना के प्रमुख दूत थे और उनके पास यह महत्वपूर्ण दायित्व था कि वे माता सीता का पता लगाएँ। उन्होंने लंका नगरी में प्रवेश कर अशोक वाटिका में सीता माता को खोज निकाला।

2. रावण से हनुमान जी का संवाद

हनुमान जी ने माता सीता को भगवान राम का संदेश सुनाया और उन्हें सांत्वना दी। फिर वे रावण की सभा में पहुंचे और उसे धर्म का उपदेश दिया। उन्होंने रावण को चेतावनी दी कि यदि वह सीता माता को वापस नहीं करता, तो उसका विनाश निश्चित है। लेकिन अहंकारी रावण ने हनुमान जी की बात को अनसुना कर दिया और उन्हें बंदी बना लिया।

3. हनुमान जी की पूँछ में आग लगाना

रावण के आदेश पर हनुमान जी की पूँछ में तेल डालकर आग लगा दी गई। लेकिन यह रावण की सबसे बड़ी भूल साबित हुई। हनुमान जी ने अपनी अलौकिक शक्ति से अपने शरीर को विशाल कर लिया और आग से अपनी पूँछ को जलती हुई मशाल में बदल दिया।

4. लंका को जलाने का संकल्प

हनुमान जी ने अपनी जलती हुई पूँछ से लंका के महलों, भवनों, बागों और भंडारों को जलाना शुरू कर दिया। उनकी गति इतनी तीव्र थी कि पूरी लंका कुछ ही समय में अग्नि की लपटों में घिर गई। केवल विभीषण का घर और अशोक वाटिका ही सुरक्षित रहे, क्योंकि विभीषण धर्मप्रिय थे और अशोक वाटिका में माता सीता थीं।

5. हनुमान जी का लंका छोड़ना

लंका जलाने के बाद हनुमान जी समुद्र में कूद पड़े और अपनी पूँछ की आग को शांत किया। इसके बाद वे माता सीता से अंतिम बार मिले और श्रीराम का संदेश देने के लिए वापस लौट गए। इस प्रकार, लंका दहन केवल हनुमान जी की शक्ति का प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि अधर्म के खिलाफ धर्म की विजय का प्रतीक भी था।

लंका दहन का आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व

लंका दहन केवल एक पौराणिक घटना नहीं है, बल्कि इसमें गहरे आध्यात्मिक संदेश भी छिपे हैं।

शक्ति और भक्ति का अद्भुत संतुलन – हनुमान जी ने साबित किया कि भक्ति में शक्ति निहित होती है। ✅ अधर्म का नाश अवश्यंभावी है – रावण जैसे अहंकारी व्यक्ति को अपने पापों का परिणाम भुगतना ही पड़ा।

धैर्य और रणनीति आवश्यक है – हनुमान जी ने पहले चतुराई से माता सीता को खोजा और फिर उचित समय पर लंका को जलाकर श्रीराम का पराक्रम दिखाया।

हनुमान जी की शक्ति और लंका दहन के पीछे के रहस्य

1. हनुमान जी की अमरता

शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी को चिरंजीवी (अमर) होने का वरदान प्राप्त है। इस कारण वे आज भी धरती पर जीवित माने जाते हैं।

2. अग्नि का प्रभाव नहीं होना

हनुमान जी पर अग्नि का कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि अग्नि देव स्वयं उनके भक्त थे। उन्होंने हनुमान जी को यह वरदान दिया था कि अग्नि उन्हें कभी नुकसान नहीं पहुँचा सकती।

3. हनुमान जी की महाशक्ति

हनुमान जी का शरीर पंचतत्वों से निर्मित था और वे अपनी शक्ति से किसी भी आकार को धारण कर सकते थे। इसी कारण वे इतनी तीव्रता से लंका में आग लगा सके।

लंका दहन से जुड़े प्रमुख स्थल

आज भी भारत और श्रीलंका में कई ऐसे स्थान हैं, जिन्हें लंका दहन से जोड़ा जाता है। इनमें प्रमुख हैं:

  1. रामेश्वरम (तमिलनाडु) – यहाँ हनुमान जी ने समुद्र पार कर लंका जाने की शुरुआत की थी।
  2. त्रिकूट पर्वत (श्रीलंका) – इसे रावण की लंका का प्रमुख स्थान माना जाता है।
  3. दिवुरुमपोला (श्रीलंका) – कहा जाता है कि यहाँ माता सीता ने अपनी अग्नि परीक्षा दी थी।

निष्कर्ष

लंका दहन की घटना हनुमान जी की अपार शक्ति, भक्ति और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। यह हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति के साथ यदि सही समय पर शक्ति और चतुराई का उपयोग किया जाए, तो अधर्म पर धर्म की विजय निश्चित होती है

हनुमान जी की यह गाथा न केवल एक पौराणिक कथा है, बल्कि यह हर युग में हमें प्रेरित करने वाली घटना भी है।

🚩 जय बजरंग बली! जय श्रीराम! 🚩

Scroll to Top
हनुमान का जन्म कैसे हुआ? – How was Hanuman born? श्री हनुमान जी के अद्भुत किस्से – Hanumanji’s interesting story