मनोजवं मारुततुल्यवेगम् – हनुमान जी की महिमा का अद्भुत श्लोक

मनोजवं मारुततुल्यवेगम् – हनुमान जी की महिमा का अद्भुत श्लोक

हनुमान जी को उनकी असीम शक्ति, अपार बुद्धि और अविचल भक्ति के लिए जाना जाता है। वे राम भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। ‘मनोजवं मारुततुल्यवेगम्’ श्लोक हनुमान जी के अद्भुत गुणों का वर्णन करता है और यह हमें उनकी दिव्य विशेषताओं को समझने में सहायता करता है।

श्लोक:

मनोजवं मारुततुल्यवेगम्
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।

इस श्लोक का हिंदी अर्थ

“मनोजवं” – जिनकी गति मन से भी तेज है।
“मारुततुल्यवेगम्” – जिनकी चाल हवा के समान तीव्र है।
“जितेन्द्रियं” – जिन्होंने इंद्रियों को जीत रखा है
“बुद्धिमतां वरिष्ठम्” – जो सबसे बुद्धिमान और चतुर हैं
“वातात्मजं” – जो पवनदेव के पुत्र हैं
“वानरयूथमुख्यं” – जो वानरों के प्रमुख हैं
“श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये” – जो श्रीराम के दूत हैं, मैं उनकी शरण में जाता हूँ।

 

श्लोक का आध्यात्मिक और दार्शनिक महत्व

1. हनुमान जी की गति और शक्ति

इस श्लोक में हनुमान जी की अतुलनीय गति और शक्ति का उल्लेख किया गया है। वे मन से भी तीव्र गति से विचार और कार्य करने में सक्षम हैं। उनके जैसा बलशाली योद्धा कोई और नहीं है।

2. आत्मसंयम और बुद्धिमत्ता

हनुमान जी को इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने वाला बताया गया है। उन्होंने इच्छाओं को नियंत्रित किया और अपनी बुद्धिमत्ता से श्रीराम के कार्य को सफल बनाया।

3. राम भक्ति और सेवा भाव

हनुमान जी को श्रीराम का प्रिय दूत कहा गया है, जो उनकी अटूट भक्ति और सेवा भावना को दर्शाता है। वे सच्चे शरणागत भक्तों के आदर्श हैं

हनुमान जी के प्रमुख गुण और विशेषताएँ

असीम शक्ति और पराक्रम – हनुमान जी ने बाल्यकाल में ही सूर्य को फल समझकर निगल लिया था।

सर्वश्रेष्ठ बुद्धि और ज्ञान – वे चारों वेदों और अनेक शास्त्रों के ज्ञाता थे।

इंद्रियों पर नियंत्रण – वे अपने मन, वचन और कर्म से श्रीराम के प्रति समर्पित थे।

निष्काम सेवा भावना – वे बिना किसी इच्छा के केवल श्रीराम की सेवा में लगे रहते थे।

संकटमोचक – जो भी उनकी शरण में आता है, वे उसे संकटों से उबारते हैं।

हनुमान जी की उपासना कैसे करें?

  1. हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करें
  2. मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की विशेष पूजा करें
  3. हनुमान जी के मंदिर में जाकर सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएँ
  4. राम नाम का जाप करें और श्रीरामचरितमानस पढ़ें
  5. हनुमान जी को पान, गुड़ और बेसन के लड्डू का भोग अर्पित करें

हनुमान जी के इस श्लोक को जपने के लाभ

हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है
मन की चंचलता और भय का नाश होता है
संकट और कष्टों से मुक्ति मिलती है
शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है
शक्ति, साहस और बुद्धि की प्राप्ति होती है

निष्कर्ष

मनोजवं मारुततुल्यवेगम्’ श्लोक हनुमान जी के अद्वितीय गुणों और भक्ति के मार्ग को दर्शाता है। यह हमें शक्ति, संयम, भक्ति और सेवा के महत्व को समझाने का एक माध्यम है।

जो भी इस श्लोक का नित्य स्मरण करता है, उसे हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके जीवन की समस्त बाधाएँ दूर होती हैं

🚩 जय श्रीराम! जय बजरंग बली! 🚩

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